चने की बुआई के पूर्व जान ले चने की इन उन्नत 10 किस्मो के बारे में एक हेक्टेयर में देगी 27 कुंटल का उत्पादन

10 Improved Varieties of Gram :- भारत में इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर विभिन्न राज्यों-मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में होती है। अन्य उत्पादन करने वाले प्रांतों में बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल सम्मिलित हैं। राजस्थान में चना मुख्य रूप से बारानी क्षेत्रों में बोया जाता है। राजस्थान में चने की खेती खरीफ में होने वाली वर्षा से प्रभावित होती है। सितंबर-अक्टूबर में अच्छी वर्षा होती है तो चने का क्षेत्रफल काफी बढ़ जाता है। अगस्त में वर्षा समाप्त होने पर चने का क्षेत्रफल आधे से भी कम रह जाता है।
चने की उन्नत किस्म जे० जी०-16 Improved variety of gram JG-16
जे० जी०-16 इसके पौधे ऊंचाई सामान्य होती है. तथा पौधों पर उख्टा रोग का प्रभाव कम होता है। चने की इस किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि में आसानी से उगाया जा सकता हैं। इस किस्म के पौधे रोपाई एक लगभग 130 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाती हैं। इस किस्म की औसतन पैदावार 20 कुंटल प्रति हेक्टेयर है।
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चने की उन्नत किस्म सीएसजे-51 Improved variety of gram CSJ-51
इसकी औसतन परिपक्वता 125-135 दिन और बीज का आकार (16.0 ग्राम) मोटा है। इसमें विल्ट, रूट रॉट, कॉलर रॉट, एस्कोच्यटा ब्लाइट, बी.जी.एम. और स्टंट के साथ ही फलीछेदक की प्रतिरोधी क्षमता पाई गई। सी.एस.जे.-515 (अमन) का विकास 2016 में आर.ए.आर.आई. दुर्गापुरा में बारानी खेती के लिए हुआ। उन्नत विधियों का उपयोग करने पर चने की सिंचित क्षेत्रों में औसत उपज 25-28 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त की जा सकती है।
चने की उन्नत किस्म जे जी 74 Improved variety of gram J G 74
चने की यह किस्म 110 – 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत यह है की इसकी औसतन उपज 15- 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म के बीज माध्यम आकार के होते है। इस किस्म की खेती भारत के सम्पूर्ण राज्य में की जाती है।

चने की उन्नत किस्म पूसा – 256 Improved variety of gram Pusa – 256
चना की यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर पछेती रोपाई के लिए उपयुक्त होती है. इस किस्म के ज्यादतर पौधे लम्बे और सीधे होते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 130 दिन के आस-पास पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की औसतन उपज लगभग 27 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। तथा इस किस्म के पौधों में अंगमारी की बीमारी कम होती है.
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चने की उन्नत किस्म जे जी 315 Improved variety of gramJG 315
चने की यह किस्म 140 –145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत यह है की इसकी औसतन उपज 25 – 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म के बीज माध्यम आकार के होते है. इस किस्म की खेती मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य में की जाती है।

चने की उन्नत किस्म जाकी 9218 Improved variety of gram Zaki 9218
चने की यह किस्म एक मध्यम समय में उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म के लगभग 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती हैं। चने की इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर की जा सकती है। इसके पौधों का फैलाव कम होता है। इस किस्म का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के लगभग हो जाता हैं। इस किस्म को मध्य प्रदेश राज्य में अधिक उगाया जाता है।
चने की उन्नत किस्म राधे Improved variety of gram Radhe
चने की यह किस्म 140 – 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत यह है की इसकी औसतन उपज 25 – 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म के बीज बड़े आकार के होते है एवं इस किस्म की पौध लम्बी एवं फलावदार होती है। इस किस्म की खेती भारत के सम्पूर्ण राज्य में की जाती है।

चने की उन्नत किस्म जी० एन० जी० -146 Improved variety of gram G.N.G-146
चने की यह किस्म मध्यम समय में उपज देने के लिए जाती हैं। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई सामान्य होती है। इस किस्म के पौधे पर गुलाबी रंग के फूल होते है. इस किस्म का पौधा रोपाई के लगभग 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके पौधों पर झुलसा रोग का प्रभाव नही होता। इस किस्म के दानो का आकार काफी बड़ा होता है. इस किस्म का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है।
चने की उन्नत किस्म अवरोधी Improved variety of gram Avrodhi
चने की यह किस्म 150 – 155 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत यह है की इसकी औसतन उपज 25 – 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म के पौध की लम्बाई माध्यम आकार की होती है।