Karwa chaut2022 : पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ की पूजा के समय करें ये आरती, मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ

Karwa chaut2022 :आज विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा है. इस दिन करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ संयोग में पड़ रहा है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत का शुभ फल मिलता है. ऐसे में आज हम उन आरती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने से व्रत पूर्ण माना जाता है. साथ ही अखंड सौभाग्यवती की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा का समय

करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:54 से शाम 07:09 तक है। इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और उनकी आरती करनी चाहिए। इससे व्रत की कमियां दूर होती हैं और व्रत पूर्ण माना जाता है.

पहली गणेश आरती

करवा चौथ की पूजा में भगवान भोलेशंकर, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और समय निकालकर तीनों की आरती करनी चाहिए। सबसे पहले आप गणेश जी की आरती करें, क्योंकि हर शुभ कार्य की शुरुआत उन्हीं से होती है। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और फिर करवा मैया करें।

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भगवान गणेश की आरती

गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश…

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश…

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश…

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश…

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश…

Karwa chaut2022 : पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ की पूजा के समय करें ये आरती, मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ

भगवान शिव की आरती

शिव जी की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा…

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ओम जय शिव ओंकारा…

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा…

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा…

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

करवा मैया की आरती

करवा मैया की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया…

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